बेल्ला ले रही दूध का / खड़ी बोली
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अलगाव का दर्द
-बेल्ला ले रही दूध का
 
मुट्ठी मैं ले रही बूरा
बैट्ठे होकै पीलो जी राजा
सगी नणदी के बीरा ।
-बेला रख दो दूध का 
मुट्ठी का रख दो बूरा
सच्चमसच बताओ मेरी गोरी
क्यों रोई थी रात मैं ?… 
-सच्चमसच बताऊँ  मेरे राजा
छोड़ चले परदेस  नैं…
-सुसरा धोरै रहियो ओ गोरी
सुसरा सूबेदार सै
-सुसरा धोरै कोन्नै रहती
सासू का घरबार सै…
-जेट्ठा धोरै रहियो ओ गोरी
जेट्ठा थाणेदार सै …
- जेट्ठा धोरै कोन्नै रहती
जेठाणी लड़ै दिन –रात सै…
-देवरा धोरै रहियो ओ गोरी
देवरा थारा प्यार सै…
-देवरा धोरै कोन्नै रहती
देवरा का क्या अतबार सै …
-पीहर मैं चली जइयो ओ गोरी
पीहर थारा गाम सै 
-पीहर मैं ना जाऊँगी जी राजा जी
भाई-भौजियों का राज सै …
-कुएँ मैं गिर जइयो ओ गोरी
कुआँ थारे बार सै 
-कुएँ मैं ना डूबूँ  जी राजा जी
 
कुएँ की म्हारै  आण सै…
-म्हारी गेलौं चलियो वै गोरी
तू मेरी प्यारी नार सै
-थारी गेलौं जाऊँगी राजा जी
 
तुम मेरे भरतार सै …
	
	