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बैल बियावै, गैया बाँझ / 10 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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शेर-सियार
कौआ-चील आरो गिद्द केॅ
शहोॅ में देखी केॅ
आदमीं पुछलकै-
तोरा सिनी यैठां कबेॅ सेॅ आवी गेलैं
तेॅ वै सिनी एक्के सुरोॅ सेॅ कहलकै
जब सेॅ तोहें गाँव छोड़ी देलौ
तहिये सेॅ हमरा सब यहाँ बसी गेलियै।

अनुवाद:


शेर, सियार
कौवे-चील और गिद्ध को
शहर में देखकर
आदमी से पूछा-
तुम सब यहाँ कब से आ गए
उन सबों ने एक स्वर में कहा
जबसे तुमने गाँव छोड़ दिया
तब से हमसब यहाँ आ गए।