भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बैल बियावै, गैया बाँझ / 11 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हंस केॅ गाँव में देखी
भगवानें ओका सेॅ पुछलकै
तोरा तेॅ शहर भेजलेॅ छेलियौ
यहाँ की करी रहलोॅ छै?
हंसें कहलकै-
आदमी आबेॅ ओकरोॅ बदला
कौआ के साथ रही रहलोॅ छै।

अनुवाद:


हंस को गाँव में देखकर
भगवान ने उससे पूछा
तुम्हें तो शहर भेजा था
यहाँ क्या कर रहे हो?
हंस ने कहा-
आदमी अब उसके बदले
कौवे के साथ रह रहा है।