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बैल बियावै, गैया बाँझ / 13 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

उड़ीस, चिल्लर अरो जूं केॅ
आदमीं
गाँव से धकिया देलकै
तहिये सेॅ ऊ सब शहर के
कोय-न-कोय
दफ्तर मेॅ मिलिये जाय छै।

अनुवाद:

खटमल, चिल्लर और जूं को
आदमी ने
गाँव से भगा दिया
तब से वे शहर के
किसी न किसी
दफ्तर में विराजमान हैं।