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बैल बियावै, गैया बाँझ / 18 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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पिंजड़ा के शेरें
आदमी सेॅ कहलकै-
आदमी बनलोॅ रहै वास्तेॅ
तोहें हमरोॅ हिस्सा के माँस
कहिया तांय खेतेॅ रहबैं?
अनुवाद:
पिंजरे के शेर ने
आदमी से कहा-
आदमी बने रहने के लिए
तुम मेरे हिस्से का माँस
कब तक खाते रहोगे।