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बैल बियावै, गैया बाँझ / 20 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

अदालत के कठघरा मेॅ
ऊ खाड़ोॅ होय गेलै
ओकरा शपथ पढ़ै लेॅ कहलोॅ गेलै
तेॅ शपथ मेॅ वै कहलकै-
हुजूर, सच्ची मुच्ची कहै छियौं
झूठ छोड़ी केॅ कुछुवो नै बोलै छी
आदमी छेकां।

अनुवाद:

न्यायालय के कटघरे में
वह खड़ा हो गया
उसे शपथ पढ़ने को कहा गया
उसने शपथ में कहा-
हुजूर सच-सच कहता हूँ
झूठ के सिवाय कुछ नहीं बोलता हूँ
आदमी हूँ।