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बैल बियावै, गैया बाँझ / 28 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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सियारें
शेर सेॅ पुछलकै-
हुजूर जंगलो के की
कोय्यो कानून-कायदा होय छै?
शेरें कहलकै-
कानून आदमी बनावै छै
जानवर नै
मतर वैं बनावै लेॅ तेॅ जानै छै
पालन करै के नै।
अनुवाद:
सियार ने
शेर से पूछा-
हुजूर जंगल का भी
क्या कोई कानून कायदा होता है?
शेर ने कहा-
कानून आदमी बनाता है
जानवर नहीं
लेकिन वह बनाना जानता है
पालन करना नहीं।