भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बैल बियावै, गैया बाँझ / 38 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जबेॅ सेॅ
आदमी केॅ पहरा पर लगैलोॅ गेलै
घरोॅ के ताला टूटेॅ लागलै
आरो तभिये सेॅ
आदमी के जग्घोॅ में कुत्ता केॅ
पहरा पर लगैलोॅ जावेॅ लागलै।

अनुवाद:

जब से
आदमी को पहरे पर लगाया
मकानों के ताले टूटने लगे
और तभी से
कुत्ते को आदमी की जगह
पहरे पर लगाया जाने लगा।