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बैल बियावै, गैया बाँझ / 40 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

सुअरें
सुअरनी सेॅ कहलकै-
आबेॅ आदमी होय गेलोॅ छै
एत्तेॅ कंजूस कि आबेॅ तेॅ
अपनो बिष्टो तांय
घरोॅ के भीतर छिपावेॅ लागलोॅ छै

अनुवाद:

सुअर ने
सुअरी से कहा-
चल यहाँ से
अब आदमी हो गया है
इतना कंजूस अब तो वह
अपने विष्टे को भी
घर के अंदर छिपाने लगा है।