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बैल बियावै, गैया बाँझ / 51 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

हंसें
हंसिनी सेॅ कहलकै-
चलोॅ यहाँ सेॅ
यैठां तेॅ
बिना ताल तलैयै के दिखै छै बगुला
लेलेॅ कंठी माला
जन्नेॅ देखोॅ
हुन्नै काग आरो सियार छै
लागै छै शहर छेकै।

अनुवाद:

हंस ने
हंसिनी से कहा-
चल इस जगह से
यहाँ तो
बिन तलैया दिखता बगुला
लिए कंठी माला
जिधर देखो
उधर ही काग और सियार हैं
लगता यह शहर है।