भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बैल बियावै, गैया बाँझ / 5 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बार-बार
कुत्ता के माँस खाय के शिकायत सुनी
शेरें कुत्ता केॅ
जंगल आवै सेॅ रोकी देलकै,
तहिये सेॅ
आदमी आरो कुत्ता
साथे साथ माँस खावेॅ लागलै।

अनुवाद:

बार-बार
कुत्ते के माँस खाने की शिकायत सुनकर
शेर ने कुत्ते को
जंगल आने से रोक दिया,
तब से
आदमी और कुत्ते
साथ-साथ माँस खाने लगा।