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बैल बियावै, गैया बाँझ / 60 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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एक बन्दरें
न्याय के देवी के हाथोॅ मेॅ
तराजू उँच्चोॅ पलड़ा देखी केॅ कहलकै-
यहाँ तेॅ पसगां लगतै होतै।
दूसरोॅ बन्दरें कहलकै-
समझेॅ सकेॅ तेॅ समझें
वरना यैठां सेॅ खिसकें
नैं तेॅ तोरहौ पर
भारी पड़ी जैतौ,
ई साधारण तराजू नै छेकै
न्याय के छेकै
हेने होय छै।

अनुवाद:

एक बंदर ने
न्याय की देवी के हाथ में,
तराजू की असमान पलड़ा देखकर कहा-
यहाँ तो पंसगा लगता ही होगा?
दूसरे बंदर ने कहा-
समझ सको तो समझो
वरना यहाँ से खिसको
नहीं तो तुम पर भी
भारी पड़ जायेगा।
यह साधारण नहीं
न्याय का है
ऐसा ही होता है।