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बैल बियावै, गैया बाँझ / 61 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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बकरीं
अपनोॅ छागड़ बेटा सेॅ कहलकै-
चलें यैठां सेॅ
तोरों चरित डगमगाय गेलोॅ छौ
आदमी नांखि ओकरा देखी-देखी
अपन्है केॅ छेड़वोॅ सीखी गेलैं
यैठां रही केॅ।
अनुवाद:
बकरी ने
अपने (छागड़) बेटे से कहा-
चल यहाँ से
तुम्हारी नैतिकता गिर गयी
आदमी की तरह उसे देख-देखकर
अपनोॅ को भी छेड़नासीख गया है,
यहाँ रहकर।