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बैल बियावै, गैया बाँझ / 62 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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मुवक्किल गदहां
अपनोॅ सियार वकील सेॅ कहलकै-
वैं तेॅ पाँच सौ टके खैलेॅ छै
यहाँ तेॅ पखवारै मेॅ
ओकरौ से बेसी दै लेॅ पड़ै छै।
वकीलें कहलकै-
ई अदालत छेकै
असकल्ले खाय केॅ
कोय पचावेॅ नै पारेॅ
यहाँ आवी केॅ बाँटौ लेॅ पड़ै छै।

अनुवाद:

मुवक्किल गदहा ने
अपने सियार वकील से कहा-
उसने तो पाँच रुपये ही खाया है
यहाँ तो पखवारे में ही
उससे ज्यादा देना पड़ता है।
वकील ने कहा-
यह न्यायालय है
अकेले कोईखाकर
पचा नहीं सकता
यहाँ आकर बाँटना ही पड़ता है।