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बैल बियावै, गैया बाँझ / 65 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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गिरगिटें
मादा गिरगिट सेॅ कहलकै-
भाग यैठां सेॅ
आदमी केॅ देखैं
केन्होॅ होय गेलोॅ छै
रंग बदलेॅ लागलोॅ छै
हमरे सिनी रं।

अनुवाद:

गिरगिट ने
मादा गिरगिट से कहा-
भाग यहाँ से
आदमी को देखो
हो गया कैसा
रंग बदलने लगा
उसके ही जैसा।