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बैल बियावै, गैया बाँझ / 67 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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सियार सिनीं
एक दूसरा केॅ कहलकै-
जंगलो मेॅ हमरा सिनी मिली केॅ
मंगल (हुआ-हुआ) गावै छियै
आदमी सभ्य समाज मेॅ रहियोॅ केॅ
अपनोॅ डफली, अपनोॅ राग
अलगे-अलग अलापतेॅ रहै छै।
अनुवाद:
सियारों ने
एक दूजे से कहा-
जंगल में भी हम सब मिलकर
मंगल (हुआ-हुआ) गाते हैं
आदमी सभ्य समाज में रहकर भी
अपनी डफली अपना राग
अलग-अलग अलापते रहता है।