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बैल बियावै, गैया बाँझ / 68 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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मैदानोॅ में चरतेॅ
जानवरोॅ के झुण्ड सेॅ
एकें कहलकै-
हमरा सिनी नाँखि आदमी
कभियो साथ नै रहेॅ सकेॅ
ऊ सिनी कभी जाति के नामोॅ पर
कभियो पाति के नामोॅ पर
आरो कभी पार्टी के नामोॅ पर
अलग-अलग रहै के
अभ्यासी बनी गेलोॅ छै।
अनुवाद:
मैदानों में चरते हुए
जानवरों की भीड़ से
एक ने कहा-
उनकी तरह आदमी
कभी साथ नहीं रह सकते
वे कभी जाति के नाम पर
कभी पाति के नाम पर
कभी पार्टी के नामपर
अलग-अलग रहने की
पड़ गयी है उन्हें आदत।