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बैल बियावै, गैया बाँझ / 69 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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बन्दरें
बन्दरिया सेॅ कहलकै-
आदमी ओकरे बंशोॅ सेॅ छेकै
बस लेंगड़ी कटाय लेलेॅ छै
दू टाँगोॅ पर ठाड़ोॅ होय गेलोॅ छै
मतरकि चाल बन्दरेवाला रही गेलोॅ छै।

अनुवाद:

बंदर ने
बंदरिया से कहा-
आदमी उनके ही वंश से है
बस पूछ कटा ली है
दो टांगों पर खड़ा हो गया
किंतु चाल बन्दरों की ही तरह रह गयी।