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बैल बियावै, गैया बाँझ / 71 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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चील्हां
आदमी सेॅ कहलकै-
चिड़ियाँ नाँखि उड़वोॅ
आरौ जानवर नाँखि दौड़वोॅ चाहै छोॅ
आदमी छेका तेॅ आदमी रं रहोॅ
नै तेॅ कांहीं के नै रहवा।
अनुवाद:
चील ने
आदमी से कहा-
पक्षी की तरह उड़ना
जानवर की तरह दौड़ना चाहते हो
आदमी हो, तो आदमी की तरह रहो
वरना कहीं के न रहोगे।