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बैल बियावै, गैया बाँझ / 74 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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एक चींटी
बिना कारणें
दुसरोॅ चींटी केॅ थप्पड़ जड़ी देलकै
यै पर वैं ऊ चींटी सेॅ कहलकै-
आदमी रोॅ घर-ऐंगन ऐतेॅ-जैतेॅ
तोरौ मेॅ आदमी के गुण आवी गेलौ।
अनुवाद:
एक चींटी ने
बिना वजह
दूसरी चींटी को झापड़ दे मारा
इसपर उसने उस चींटी से कहा-
आदमी के घर आँगन आते-जाते
तुममें आदमी का गुण आ गया।