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बैल बियावै, गैया बाँझ / 78 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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गुरू बन्दरें
चटिया सिनी सेॅ पुछलकै-
मुँह मेॅ राम बगल मेॅ छुरी-
के अरथ बतावोॅ
एक चटियां उठी केॅ कहलकै-
सर, ई तेॅ आदमी लेली छै
एकरोॅ पूछी केॅ अर्थ
समय कैन्हें करै छोॅ व्यर्थ।
अनुवाद:
बंदर शिक्षक ने
विद्यार्थियों से पूछा-
मुँह में राम बगल में छूरी का
बताओ अर्थ
एक विद्यार्थी ने उठकर कहा-
सर यह तो आदमी के लिए है
इसे पूछकर
समय क्यों करते हैं व्यर्थ!