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बैल बियावै, गैया बाँझ / 9 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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सियार, कौआ आरो शेर केॅ
कभियो छेलै आदमी सेॅ दोस्ती
जहिया सेॅ आदमीं
एकरोॅ सिनी के गुण लै लेलकै
तहिये सेॅ ऊ सब एकेक करी केॅ
जंगल चल्लोॅ गेलै।

अनुवाद:

सियार, कौवे और शेर को
थी कभी दोस्ती आदमी से
जबसे आदमी ने
इन सबों का गुण ले लिया
तब से वे एक-एक कर
जंगल चले गये।