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बोगनबेलिया / कन्हैयालाल नंदन
Kavita Kosh से
ओ पिया
आग लगाए बोगनबेलिया!
पूनम के आसमान में
बादल छाया,
मन का जैसे
सारा दर्द छितराया,
सिहर-सिहर उठता है
जिया मेरा,
ओ पिया!
लहरों के दीपों में
काँप रही यादें
मन करता है
कि
तुम्हें
सब कुछ
बतला दें -
आकुल
हर क्षण को
कैसे जिया,
ओ पिया!
पछुआ की साँसों में
गंध के झकोरे
वर्जित मन लौट गए
कोरे के कोरे
आशा का
थरथरा उठा दिया!
ओ पिया!