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बोर हो रहा हूँ मैं घर में / सूर्यकुमार पांडेय

बोर हो रहा हूँ मैं घर में,
बोर हो रहा हूँ मैं घर में!

पापा चले गए हैं दफ़्तर,
मम्मी गयीं सहेली के घर।
दीदी-भैया स्कूल गये हैं,
बोर हो रहा हूँ मैं घर में।

गपशप है दादा की ख़ूबी,
दादी जी पूजा में डूबीं।
सब ही मुझको भूल गये हैं,
बोर हो रहा हूँ मैं घर में।

हे भगवान, करो कुछ ऐसा,
मुझे बना दो अंकल जैसा।
मैं भी घूमूँ नये शहर में,
बोर हो रहा हूँ मैं घर में।