बोलतीं आँखें यक़ीनन देवता सोया न था / विनय कुमार

बोलतीं आँखें यक़ीनन देवता सोया न था।
देखता था वो मुझे ऐसे कि मै गोया न था।

हम शरीक़े जंग हैं, बच्चे करेंगे फैसला
हादसे की रात में किसका ख़ुदा खोया न था।

क्या शहर था लोग सारे धो रहे थे आइने
पर किसी ने चेहरा अपना वहाँ धोया न था।

फूल जैसे जिस्म पर बाज़ार का दारोमदार
बोझ ऐसा लड़कियों ने आज तक ढोया न था।

आप पहले लीजिए गीले खिलौनों की जगह
और तब कहिए कि बच्चा आपका रोया न था।

इस पृष्ठ को बेहतर बनाने में मदद करें!

Keep track of this page and all changes to it.