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बोलती चुप्पी / संजीब कुमार बैश्य / प्रभात रंजन
Kavita Kosh से
चुप्पी
एक मज़बूत शब्द है
इसमें गूँजती हैं अनसुनी आवाज़ें
किसी चुप्पा विद्रोही की
वह अपने समय का
इन्तज़ार करता है;
और चुप्पी
बोलती है।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : प्रभात रंजन