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बोला कहाँ ले पुकारी / जगदीश पीयूष
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बोला कहाँ ले पुकारी।
बाटू हंस की सवारी॥
तोहैं हाथ जोरि कब से जोहारी माई जी।
लागा हमरिव अरजिया गोहारी माई जी॥
सुना सूरसती माई॥
दिया हमैं कविताई॥
अही पुतवा तोहार तौ अनारी माई जी।
लागा हमरिव अरजिया गोहारी माई जी॥
भये लरिका जवान।
भवा देसवा महान॥
भरै अंगना अनाज और बखारी माई जी॥
लागा हमरिव अरजिया गोहारी माई जी॥
आवा आवा बीनापानी।
माई शारदा भवानी॥
चढ़ै कविता कै टिकरी सोहारी माई जी॥
लागा हमरिव अरजिया गोहारी माई जी॥