भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बोला कहाँ ले पुकारी / बोली बानी / जगदीश पीयूष
Kavita Kosh से
बोला कहाँ ले पुकारी
बाटू हंस की सवारी
तोहैं हाथ जोरि कब से जोहारी माई जी
लागा हमरिव अरजिया गोहारी माई जी
सुना सूरसती माई
दिया हमैं कविताई
अही पुतवा तोहार तौ अनारी माई जी
लागा हमरिव अरजिया गोहारी माई जी
भये लरिका जवान
भवा देसवा महान
भरै अंगना अनाज और बखारी माई जी
लागा हमरिव अरजिया गोहारी माई जी
आवा आवा बीनापानी
माई शारदा भवानी
चढ़ै कविता कै टिकरी सोहारी माई जी
लागा हमरिव अरजिया गोहारी माई जी