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बोल कबुतर / दीनदयाल शर्मा

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बोल कबुतर गुटरू गूं
गुटरू-गूं भाई गुटरू-गूं
चिड़कल कै‘वै चीं चीं चीं
मूसो कै‘वै चूं चूं चूं

अनुवाद :- श्रीमती राजेश्वरी पारीक " मीना "