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बोस्टन में एक शाम / द्रागन द्रागोयलोविच / अनिल जनविजय

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सारी शाम शहर में घूमते-घूमते
मुझे एहसास हुआ कि
हर शहर हमारे लिए
अजनबी होता है
चाहे हमारे हाथ में
उस शहर के कुछ दरवाज़ों की
चाभी ही क्यों न हो ।

अचानक झींसी पड़ने लगती है
और चारों ओर फैले वसन्त के स्वर मन्द हो जाते हैं
पर मैं वैसे ही घूमता रहता हूँ,
बस्स, मार्शल स्टोर पर जाकर एक छतरी ख़रीद लेता हूँ
 जैसे बेलग्राद में ही बारिश हो रही हो ।

इस शहर की गलियों से गुज़रते हुए
मैं जैसे दुनिया भर के सभी शहर घूम लेता हूँ
हर जगह बसी हुई है वही उदासीनता ।
मेह के बरसने की वही गुनगुनाहट सुनाई देती है
वसन्त का मौसम थोड़ा पहले आ जाता है
या आता है कुछ बाद में
वही एकान्त और वही उदासी
महसूस होती है हर शहर में ।

यह मेरा ही शहर है
जो हज़ारों मील दूर है
मुझसे ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब अँग्रेज़ी अनुवाद में यही कविता पढ़िए
             Dragan Dragojlović
       AN EVENING IN BOSTON

Walking the city all evening
I realize that every city
is in some way strange,
even when we have the key
to some of its doors.

Light rain starts tapping.
Spring sounds fade away,
but I keep walking,
and buy an umbrella at Marshalls.
It is raining in Belgrade, too.

Walking through this city-
I tour all the cities of the world.
The same indifference everywhere.
The same humming of the rain.
Spring arrives earlier or later.
The same blues and solitude.

This is my city,
thousands of miles
away from me.

Translated into English by AGRONSH