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बोॅर बराती / पतझड़ / श्रीउमेश
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बरियाती सब यहीं रुकीकेॅ करै छिलोॅ पहिलोॅ बिश्राम।
सजी-धजी केॅ नया जोस सें दिखलाबेॅ उत्साह ललाम॥
अतर-सेंट के गंध उड़ायक्केॅ करै छिलोॅ महमोद यहाँ!
बाजा-गाजा रंग-रबाइसोॅ के ऊ सुखद विनोद यहाँ॥