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बौ का हात भली रसाण / गढ़वाली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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बौ का हात भली रसाण
मारी बाखरी, पूज्यो मसाण<ref>एक देवता</ref>,
बौका<ref>भाभी के</ref> हात, भली रसाण<ref>रस</ref>!
सड़क फुंड बाखरा मेरा,
ब्याखनदां<ref>शाम</ref> जाण, बौ का डेरा!
बौ छ मेरी छोटी छौनक<ref>छौना की तरह</ref>,
बौ का बौंड<ref>ऊपर की मंजिल</ref>, भली रौनक।
उबा बणू बल हिंसरी गोंदा,
छोटी बौ बडू छ फोंदा!
पल्यापताला<ref>घाटियों में</ref> वासी त कवा<ref>कौआ</ref>,
बौ बणीगे, बजारी हवा।
बौ च मेरी रिक पठोली<ref>छोना</ref>,
बौ की धोती कैन लटोली<ref>देखी</ref>?
शब्दार्थ
<references/>