बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बौ तो सब कोउ चलौ है बरातै ओ कजरौटा लला।
दूल्हा के मामा घर रये कजरौटा लला।
अपनी बहिना कों रखावे घर रये कजरौटा लला।
दूल्हा के जीजा घर रये कजरौटा लला,
अपनी सारी साराज रखावे घर रये कजरौटा लला।
दूल्हा के काका घर रये कजरौटा लला,
अपनी भौजी कों रखावे घर रये कजरौटा लला।