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ब्याह ज़रूरी नहीं है, बेटी ! / अनामिका अनु

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ब्याह ज़रूरी नहीं है बेटी
प्यार बहुत ज़रूरी है
रिवाज़ों की नहीं ज़रूरत तुमको
सम्मान बहुत ज़रूरी है
डरने की भी नहीं ज़रूरत
चौकस रहना ज़रूरी है
  
माँ बनना ज़रूरी नहीं है
आत्मनिर्भर होना ज़रूरी है
पूजा पाठ और धर्म नहीं ज़रूरी
ख़ुश रहना बहुत ज़रूरी है
  
नहीं मालूम मंदिर, ब्यूटी पार्लर और बाज़ार का रास्ता !
ये चलेगा
पर पुस्तकालय, दफ़्तर और विश्वविद्यालय
तक पहुँचने के सारे रास्ते तलाश
सरपट दौड़ लगाना
उस भीड़ से
जो मंज़िल के बहुत क़रीब हो
  
जो भी रोके रास्ता तेरा
उसे धकेल आगे बढ़ जाना
बहुत ज़रूरी है ।
माता-पिता कि हर बात यूँ ही मत मान लेना
माता-पिता नहीं हैं देवता
अगर सभी के मात-पिता
भगवान और ख़ुदा हैं
तो देखो न ! इस भगवान और ख़ुदा
ने मिलकर कैसी दुनिया बनाई है ।