ब्रजभूमि साँवरे तुझे प्यारी है आज भी / रंजना वर्मा
ब्रजभूमि साँवरे तुझे प्यारी है आज भी
रहमत तेरी जहान पे जारी है आज भी
घनश्याम तेरा हुस्न है कुछ ऐसा दिलनशीं
तेरा नशा दिमाग़ पे तारी है आज भी
तिरछी निगाह का तेरी जादू अजीब है
चलने लगे दिलों पे कटारी है आज भी
सौतन बनी है नींद है ख़्वाबों से दुश्मनी
पलकों पे रात हम ने गुजारी है आज भी
है आरजू कि देख तुझे दिल में बसा लूँ
दिल ये तो तेरे दर का भिखारी है आज भी
आँखों मे रखा रोक के आँसू की धार को
दिल में तेरी तस्वीर सँवारी है आज भी
उम्मीद इंतज़ार भी है वस्ल के लिये
देखूँ तुझे ये चाह हमारी है आज भी
रौशन करो न शम्मा उजालों के वास्ते
वो शख़्स तीरगी का पुजारी है आज भी
गुरबत में रहे या ग़मों की आग में जले
लेकिन ये मुहब्बत नहीं हारी है आज भी