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ब्रह्मज्ञान / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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यह सच है
तुम्हारी हवस के मारे
मुझे भागते फिरना पड़ रहा है
और जिधर भी मैं भागती हूं
तुम्हारा एक चेहरा उभर आता है --
पर इतना जान लो :
मैं नहीं पैदा हुई
तुम्हारे ध्यान से...
तुम्हें धरती पर लाया गया
मेरी जांघों के बीच से...