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ब्रा / सपन सारन
Kavita Kosh से
इसको कस के पहनो
फिसलने मत दो
सटा के पहनो
हिलने मत दो ।
इसका नाम मत लो
इसको बाक़ी कपड़ों से ढक दो
जब बालकॉनी में सुखाओ ।
इसकी सफ़ेद पट्टी को कन्धे पर से दिखने मत दो,
ग़लती से भी ।
फिर चाहे तुमने झुककर गोबर उठाया हो
या पुस्तकें ।
किसी को पता नहीं चलना चाहिए
कि तुमने इस ‘कवच’ को पहना है
वरना आतंक फैल जाएगा
सरकार गिर जाएगी
तेल का भाव उठ जाएगा !
ये भगवान की तरह है
इसके होते हुए, इसके न दिखने के
अभिनय का रियाज़ रोज़ करो
तो तुम्हारे सौ ख़ून माफ़ ।
क्योंकि तुम वो उत्तम कलाकारा हो
जो ‘ब्रा’ — केवल दुकानदार को बोलती है
और ऊँघते पति के सामने खोलती है !