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ब्रूगेल के दो बंदर / विस्साव शिम्बोर्स्का
Kavita Kosh से
अपनी आख़िरी परीक्षा के बारे में
अपने सपनों में मुझे यह दिखाई देता है -
खिड़की की सिल पर बैठे,
ज़ंजीर से फ़र्श पर बंधे दो बन्दर,
फड़फड़ाता है उनके पीछे आसमान
स्नान कर रहा है समुन्दर
'मानवजाति का इतिहास' का परचा है
मैं रुक-रुक कर हकलाने लगती हूँ
एक बन्दर घूरता है
और खिल्ली उड़ाने वाली अवहेलना के साथ सुनता है,
दूसरा वाला खोया लगता है किसी सपने में -
लेकिन जब यह साफ़ हो जाता है
कि मुझे पता नहीं मुझे कहना क्या है
वह हौले से खड़का कर अपनी ज़ंजीर
उकसाता है मुझे