ब्रेक अप: कुछ फुटकर नोट्स / अजित सिंह तोमर
ब्रेक अप
एक अंग्रेजी शब्द था
मगर इसके प्रभाव थे
विशुद्ध देशी किस्म के
यह जुड़कर टूटने की
बात करता था
शब्दकोश में देखा
इसके आगे पीछे कोई शब्द नही था
ये वहाँ उतना ही नितांत अकेला था
जितना अकेला
एक एसएमएस के बाद मैं हो गया था।
ब्रेक अप के बाद
शब्दों के षड्यंत्र
आकार लेना आरम्भ करते
प्रेम को निगल जाता सन्देह
स्मृतियों को चाट जाती युक्तियां
स्पर्शों को भूल जाती देह
अह्म होता शिखर पर
दिल अकेला हँसता
दिमाग की चालाकियों पर
यही हँसी दिख जाती कभी कभी
आंसूओं की शक्ल में।
ब्रेक अप के बाद
मैंने छोड़ दिया पृथ्वी ग्रह
मैं निकल आया प्लूटो की तरफ
मगर वहाँ के चरम एकांत में भी
ब्रेक अप की ध्वनि
मेरा दिशा भरम करती रही
दरअसल वो ध्वनि नही
एक किस्म का शोर था
शोर ब्रह्माण्ड के हर कोने तक
करता रहा मेरा पीछा
जबतक मैं बहरा न हो गया।
ब्रेक अप
सवाल की शक्ल में आया
जवाब की शक्ल में चला गया
सवाल-जवाब के मध्य
रूपांतरित होता हुआ रिश्ता
समुंद्र तल की ऊंचाई से कुछ मीटर
ऊपर का था
जब एक दिन पानी पर
तुम्हारा नाम लिखना चाहा
तब पता चला
कुछ सेंटीमीटर
तुम्हारा तल बदल चुका है
ब्रेक अप एक तरल चीज थी ठोस नही।
ब्रेक अप
आसान नही होता
कहना भी करना भी और जीना भी
ब्रेकअप उतना मुश्किल भी नही होता
जितना मैं सोचता था
इधर ब्रेक अप हुआ
उधर मेरी जगह ले ली
किशोर कुमार लता मंगेशकर ने।