ब्रेक के बाद / रेखा चमोली
ईश्वर की व्यस्तता बढ़ी है
मनुष्यों के अनुपात में
शायद इसीलिए
उसकी नजर नहीं पड़ती
कीड़े मकोड़ों की तरह
कुचले जाते अनगिनत बेगुनाहों पर
ईश्वर व्यस्त है
मंदिरों में
सत्संगों में
कथाओं में
नींद में तो नहीं?
जो उसे भरपेट खाने के बाद
मुलायम-सुंदर बिछोने पर आ गई होगी
ईश्वर के सचिव
कुछ समय पहले तक
दिखाते थे उन्हें
रोज का प्रोग्राम
जिसमें भूखे, नंगे, बेबस लोगों की
प्राथनाएँ सुनने
के लिए भी समय होता था
पर ईश्वर
आप तो जानते ही हैं!
समरथ को नहीं दोष गुसाईं
पिछली बार जब निकले थे
अपने सांसारिक दौरे पर
धर लिए गए
हड़बड़ी में उनके सचिव के हाथ से
डायरी भी गुम हो गई
जब ईश्वर की आँखों से
काली पट्टी हटाई गई
उन्होंने खुद को
बेहद सुंदर और नर्म बिछौने पर अधलेटा पाया
फिर तो वे
स्वादिष्ट पकवानों
अति विशिष्ट सेवाओं
और जोशीले भजनों, कीर्तनों की आवाज में
ऐसे खोए, ऐसे खोए कि
खोए ही रह गए
उनके कानों तक
अपनी आवाज पहुँचाने लायक ताकत
जुटाने में लगे हैं
बेबस जन
देखते हैं आगे क्या होता है??