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ब्रोग़ल के दो बन्दर / विस्साव शिम्बोर्स्का
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सपने में मैं देखती हूँ :
अपने अन्तिम वर्ष के इम्तिहान।
खिड़की के पास ज़ंजीरों से बँधे
दो बन्दर<ref>हालैण्ड के पेण्टर पीटर ब्रोग़ल की एक पेण्टिंग (1562)</ref> बैठे हैं।
खिड़की के पार आसमान फड़फड़ा रहा है
और समुद्र नहा रहा है।
मानव-इतिहास का पर्चा है।
मैं हकलाती हूँ और हड़बड़ाती हूँ।
एक बन्दर मुझे ताकता है और वक्रता से मुस्कुराता है,
दूसरा बन्दर झपकी सी ले रहा है –
लेकिन जब सवाल देखकर मेरे अन्दर शून्य भरने लगता है
तो अपनी ज़ंजीर की हल्की सी खनक से
वह मुझे हौसला देता है।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी
शब्दार्थ
<references/>