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ब-नाम-ए-ताक़त कोई इशारा नहीं चलेगा / मोहसिन नक़वी

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 ब-नाम-ए-ताक़त कोई इशारा नहीं चलेगा
 उदास नस्लों पे अब इजारा नहीं चलेगा

 हम अपनी धरती से अपनी हर सम्त ख़ुद तलाशें
 हमारी ख़ातिर कोई सितारा नहीं चलेगा

 हयात अब शाम-ए-ग़म की तश्बीह ख़ुद बनेगी
 तुम्हारी ज़ुल्फ़ों का इस्तिआरा नहीं चलेगा

 चलो सरों का ख़राज नोक-ए-सिनाँ को बख़्शें
 के जान बचाने का इस्तिख़ारा नहीं चलेगा

 हमारे जज़्बे बग़ावतों को तराशते हैं
 हमारे जज़्बों पे बस तुम्हारा नहीं चलेगा

 अज़ल से क़ाएम हैं दोनों अपनी ज़िदों पे 'मोहसिन'
 चलेगा पानी मगर किनारा नहीं चलेगा