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भक्ति दान मोहे दिजीये / निमाड़ी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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भक्ति दान मोहे दिजीये,
देवन के हो देवा
करु संत की सेवा...
भक्ति दान...
(१) नही रे मांगूँ धन सम्पदा,
सुन्दर वर नारी
सपना म रे मांगूँ नही
मोहे आन तुम्हारी...
भक्ति दान...
(२) तीरथ बरत मोसे ना बने,
कछू सेवा ना पुजा
पतीत ठाड़ो परभात से
आरु देव न दुजा...
भक्ति दान...
(३) करमन से रिध सिद्ध घणा,
वैकुंठ निवासा
किंचित वर मांगूँ नही
जब लग तन स्वासा...
भक्ति दान...