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भगवती वंदना / कालीकान्त झा ‘बूच’
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जनमि - जनमि कऽ बहुत भटकलहुँ
सभदेवक डगरिया
आयल छी आखिर उदास भऽ
अम्ब अहींक दुअरिया
अहँक कोर मे विष्णु सुतल
सम्मुख ब्रह्या कानैत छथि
अहींक शक्ति बिनु स्वयं शिवो
अपना केॅ शव मानैत छथि
आन देवक बात कोन सभ
बनि गेला पमरिया
जनमि...
प्रलय काल मे जीवक संग
भगवानो केॅ सुतवैत छह
तमसा देवि शक्ति तोरे सँ
देव दनुज पावैत छह
मोहगर्त ममतावर्तक ई
जादू भरल नगरिया
जनमि...
दुर्भाग्यक आलस्य हटाक'
जगा दिअऽ नवचेतना
सम्मोहित कऽ दियौ दुष्ट केॅ
भरू माँ भीषण वेदना
हे माता मृतपाय पुत्र पर, ढ़ारू अमृत गगरिया
जनमि...