भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भगवान बुद्ध / रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
भगवान बुद्ध
राजकुमार सिद्धार्थ
तुमने दूर से ही देखा था
एक रोगी
एक वृद्ध
एक शव
और राजभवन छोड़कर
वन में चले गए
भगवान् बुद्ध बन गए |
मैं स्वयं एक रोगी हूँ
वृद्ध हूँ
शव हूँ
फिर भी कुछ नहीं
बन पा रहा हूँ
क्यों ?