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भगोड़े / स्वप्निल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
भगोड़े स्वर्ग में छिपे हुए है
हम उन्हें नर्क में खोज
रहे हैं
वे पुष्पक विमान से उड़कर
इन्द्रलोक में छिप गए है
और इन्द्रलोक की शोभा
बढ़ा रहे है
अप्सराओं के मादक नृत्य चले
रहे है
चषक में ढाली जा रही है
मदिरा
जिस अदालत में उनके लिए
सज़ा प्रस्तावित है , उसे देवलोक ने
माफ़ कर दिया है