भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भजन-कीर्तन: कृष्ण / 10 / भिखारी ठाकुर
Kavita Kosh से
प्रसंग:
श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में दान देने का वर्णन।
खजाना लुटावै आज नन्द रइया॥टेक॥
कृष्णचन्द्रजी के जन्म भइल जब, दुअरा पर बाजे बधइया॥ खजाना॥
केहू पावत भूषण भोजन, केहू जाचक पाबत बा गइया।
घर-आँगन में सोहर होत बा, खुशी यशोदाजी मइया॥ खजाना॥
रात-दिन हरदम बरसत, बा अवरखलेखा रुपइया।
कहत ‘भिखारी’ मगन ब्रज बासी, शंकर जी भइलन सहइया॥ खजाना॥