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भजन-कीर्तन: कृष्ण / 13 / भिखारी ठाकुर
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प्रसंग:
श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन।
राधेश्याम-राधेश्याम-राधेश्याम-राधेश्याम।
अबहीं उमर के बाल, चलत ठुमकी-ठुमकी चाल; सथे भइया बलराम। राधेश्याम-राधेश्याम।
लाके झूल्की में तेल, करत लरिकन से खेल; गली-गली में तमाम॥ राधेश्याम.॥
माथे मुकुट अमोल, झुलत कुंडल कपोल; जीनका सब सरजाम॥ राधेश्याम.॥
बाटे गोबिन्द जी के काम, लाख बार प्रणाम ह, ‘भिखारीदास’ नाम॥ राधेश्याम-राधेश्याम॥