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भजन-कीर्तन: कृष्ण / 16 / भिखारी ठाकुर

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प्रसंग:

ब्रजवासियों को श्रीकृष्ण के बिना उदासी लगती है। उन्हें आशंका है कि कुबरी ने उन्हें फँसा कर रोक रखा है।

मोहन बिनु मनवां तरसत मोर दिन-रात।
दादुर-मोर शोर बादल के तनीभर नइखे सोहात। भादो-सावन सेज भेआवन गिरत जब बरसात॥
अब ना प्राण रही प्रीतम बिनु कुवरी कुरोग लखात। ‘भिखारी’ सारे ब्रजवासी सिर धुनि पछतान॥