भजन-कीर्तन: कृष्ण / 20 / भिखारी ठाकुर
प्रसंग:
बंगला चौपाई के बार्त्तिक हमनी का मर गइला पर राम नाम सत्य कहिला जा। बंगाली लोग हरि बोल-हरि बोल कहेला लोग। इश्वर के नाम बहुत हउन बंगला किताब में से चौपाई ख्याता हम लिखत बानी नाम में सबूत भोजपुरी में बंगला करले बानी।
बंगला भाषा में चौपाई
चिन्तामनी चतुरभुज देव चक्र-धनी। दीनबन्धु देवकीनन्दन यदुमनी॥
अनन्त कृष्णोर नाम अनन्त महिमा। नारद आदि देव-गन दीते ना रे सीमा॥
सुन-सुन ओ रे भाई नाम संकृतन। जे नाम श्रवन होय पाप विमोचन॥
सालीग्राम दामोदर श्रीपति श्रीधर। तारक ब्रह्म सनातन परम ईश्वर॥
हरि नाम कृष्ण नाम और सब पीछे। पाला इते पथनाई यम आछे पीछे॥
हरिनाम कृष्ण नाम बड़ ई मधुर। जेई जन कृष्ण भजे जे बड़ चतुर॥
ब्रह्मा आदि देव गन ध्यान नाइ पाय। से हरि बंचित की हवे उपाय॥
हरिनकुश रीपुर उदर विदारन। तार बली नाम राखे जाचक बावन॥
सुदामा राखिलो नाम दरिद्र-भंजन। दाया मय द्रोपदी लज्जा निवारन॥
युधिष्ठिर नाम राखे देव यदुबर। विदुर राखलो नाम कंगाल ईश्वर॥
विश्वामित्र नाम राखे संसारेरसार। अहिल्या राखिलो नाम पसान उद्धारे॥
परशुराम नाम राखे राम ईश्वर। पंखी राखिलो नाम श्री विसम्भर॥
हरे राम हरे कृष्ण बैकुण्ठो री बासी। सेइ भगवान क्षीर सागर निवासी॥
हरि नाम दिनों गोपाल नाम बीन। दिन गेलो निसा काजे रात्रि गेलो निन॥
कारु पे संसारे तेपंखो भाषा करे। जखन कृष्ण जनम लीलो देवकीओदरे॥
अकास ते पुष्प बृष्टी हय धीर-धीरे। बासुदेव राखी अइल नन्दार मंदीरे॥
नन्दर आलय तन बाढ़े दीन-दीन। गारगाचार्य नाम राखे कृष्ण गोविन॥
यशोदा राखिलो नाम आमार गोपाल। श्रीनन्द नाम राखो श्रीनन्दलाल॥
देवकी राखिलो नाम निरंकार हरे। यशोदा महल राजे कंस राजा डरे॥
जगह सती नाम राखे श्री मसूदन। आजामिल राखे नाम देवनारायन॥
रसमयं रसिक नागर अनुपाम। निकुंज, बिहारी हरि नाम घनश्याम॥
कमल तरु कोमल नयन रीसी केश। पतित पावन गुरु उपदेश॥
ब्रजबासी नाम राखे श्री बनवारी। पुतना मातुन दूत अनेकन तारी॥
कान्हाई राखीलो नाम जतेकर ग्वाल। नाम सुमिरत होत मूको बचाल॥
इन्द्र नाम राखि, गिरवधारी। उपानंदन नाम राखे विपिन-बिहारी॥
सुबाचंद्र नाम राखे ठाकुर कन्हाई। श्री दास राखीलो नामराखल राजा भाई॥
नुनी चोरा नाम राखे जतेकगोपनी। काल सोना नाम राखे राधा बिनोदनी॥
कुबजा राखीलो नाम पतित-पावन। चन्द्रबली नाम राखे बंशी-बजावन।
कर्ण मुनी नाम राखे श्रीयदुबंश। आर हाथ बध हवै बांकासुर कंस॥
ललिता रखीलो नाम ललन मोहन। श्री कमलारपति राधिकाजीवन ललन मोहने॥
बासुदेव राखिलो नाम अनन्त भगवान। अन्त ना पाइए तार हय ना ठिकान॥
काली नाग नाथ कर नाचे चढ़ी फन। द्विज कवि गाय हरि नाम संकृतन॥
अष्टो तरु सतो नाम जेकरे पठन। अन्यास पाइये श्री कृष्णा चरणान॥